प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आपदा प्रभावित उत्तराखंड के लिए ₹१२०० करोड़ की आर्थिक सहायता पैकेज की घोषणा की। उन्होंने देहरादून पहुंचकर हवाई सर्वेक्षण किया और राज्य सरकार व आपदा प्रबंधन एजेंसियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।
पिछले कुछ महीनों में लगातार भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ ने राज्य को भारी नुकसान पहुंचाया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अब तक ८० से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, १०० से अधिक लोग लापता हैं और संपत्ति का नुकसान लगभग ₹२००० करोड़ आंका गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए हर संभव मदद देगी।
मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “उत्तराखंड की जनता ने इस आपदा के सामने अद्भुत साहस दिखाया है। भारत सरकार इस कठिन समय में आपके साथ खड़ी है। ₹१२०० करोड़ की सहायता राशि राहत, पुनर्वास और बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण पर खर्च की जाएगी।”
इस सहायता पैकेज में प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत, क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों और सार्वजनिक सुविधाओं की मरम्मत, तथा कृषि और पशुपालन से जुड़े नुकसान की भरपाई शामिल है। सरकार पर्यटन क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान देगी, क्योंकि आपदा के कारण चारधाम यात्रा और पर्यटन गतिविधियों को गहरा धक्का लगा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र सरकार की त्वरित मदद के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार सुनिश्चित करेगी कि यह राशि पारदर्शिता के साथ खर्च हो और प्रत्येक प्रभावित परिवार तक पहुंचे। इस सहायता से राहत कार्यों को गति मिलेगी और पुनर्निर्माण के प्रयास तेज होंगे।”
प्रधानमंत्री ने पहाड़ी क्षेत्रों में टिकाऊ विकास की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि विकास कार्य और सड़क व पुल निर्माण आवश्यक हैं, लेकिन पारिस्थितिक संतुलन को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। “इस आपदा से सीखना जरूरी है। हमें ऐसे ढांचे बनाने होंगे जो भीषण मौसम का सामना कर सकें। हमारा दीर्घकालिक लक्ष्य आपदा-रोधी बुनियादी ढांचा खड़ा करना है,” मोदी ने कहा।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें प्रभावित इलाकों में लगातार काम कर रही हैं। हेलिकॉप्टरों के जरिए दुर्गम गांवों में आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा रही है। इंजीनियर क्षतिग्रस्त राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को खोलने में जुटे हैं ताकि यातायात जल्द बहाल हो सके।
विशेषज्ञों ने केंद्र की घोषणा का स्वागत किया, लेकिन दीर्घकालिक योजना पर भी जोर दिया। पर्यावरणविदों ने कहा कि अनियंत्रित निर्माण और वनों की कटाई ने आपदा के असर को और गंभीर बना दिया। उन्होंने चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने, जल निकासी तंत्र को सुधारने और सख्त निर्माण मानकों को लागू करने की मांग की।
₹१२०० करोड़ की सहायता राशि आपदा से जूझ रहे हज़ारों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है। जिन लोगों ने अपने घर, जमीन या रोज़गार खोए हैं, उनके लिए यह राहत बेहद महत्वपूर्ण होगी। राज्य सरकार के लिए यह अवसर भी है और चुनौती भी कि वह पुनर्निर्माण को तेजी और पारदर्शिता से अंजाम दे।