वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई ५६वीं जीएसटी परिषद की बैठक में देशभर के उपभोक्ताओं और कारोबारियों को राहत देने वाले कई बड़े निर्णय लिए गए। बैठक में कर ढांचे को सरल बनाने, आवश्यक वस्तुओं को सस्ता करने और व्यवसायों के लिए अनुपालन आसान बनाने पर जोर दिया गया।
दो-स्तरीय जीएसटी ढांचा लागू
हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, परिषद ने ४ कर स्लैब घटाकर अब केवल २ मानक स्लैब – ५% और १८% रखने का निर्णय लिया है। यह नया ढांचा २२ सितम्बर २०२५ से लागू होगा।
इसके साथ ही ४०% का विशेष “पाप और विलासिता कर” (sin & luxury rate) तम्बाकू, सिगरेट, पान मसाला, कार्बोनेटेड पेय और महंगे विलासिता उत्पादों पर लगाया जाएगा। इससे आम उपभोक्ता वस्तुएँ सस्ती होंगी जबकि विलासिता उत्पाद महंगे रहेंगे।
आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर राहत
बैठक में सैकड़ों वस्तुओं पर कर कम किया गया। बाल तेल, साबुन, नूडल्स, साइकिल, बर्तन, आवश्यक दवाइयाँ और चिकित्सा उपकरण अब केवल ५% जीएसटी के दायरे में आएंगे। वहीं यूएचटी दूध, पनीर और रोटियाँ अब पूरी तरह जीएसटी मुक्त होंगी।
परिषद ने छोटी कारों और ३५० सीसी तक की मोटरसाइकिलों पर कर को २८% से घटाकर १८% करने का निर्णय लिया, जिससे ऑटोमोबाइल उद्योग और मध्यमवर्गीय परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।
इसके अतिरिक्त, जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है, जिससे करोड़ों लोगों के लिए बीमा योजनाएँ और अधिक सुलभ होंगी।
कारोबारियों और निर्यातकों के लिए सहूलियत
परिषद ने घोषणा की कि एमएसएमई पंजीकरण अब केवल ३ दिनों में पूरा होगा। साथ ही, निर्यातकों को स्वचालित जीएसटी रिफंड प्रणाली का लाभ मिलेगा, जिससे नकदी प्रवाह तेज होगा और देरी से बचा जा सकेगा।
हमारे संवाददाता जोड़ते हैं कि यह सुधार न केवल लघु और मध्यम उद्योगों पर बोझ कम करेंगे बल्कि मांग को भी प्रोत्साहित करेंगे।
दिसम्बर तक जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) को दिसम्बर २०२५ तक चालू किया जाएगा। यह निकाय अपील और विवाद निपटान के लिए समर्पित मंच उपलब्ध कराएगा और न्यायालयों पर बोझ कम करेगा।
सुधारोन्मुख दृष्टिकोण
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह बदलाव केवल “टैरिफ में हेरफेर” नहीं बल्कि भारत के जीएसटी ढांचे का संरचनात्मक सुधार है। सरकार का उद्देश्य है कि एक सरल, उपभोक्ता-मित्र कर प्रणाली बनाकर खपत को बढ़ावा, अनुपालन आसान और आर्थिक विकास को मजबूत किया जाए।