उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के बसकेदार तहसील और चमोली के देवाल क्षेत्र में गुरुवार रात बादल फटने से तबाही मच गई। कई परिवार मलबे में दब गए और कई लोग घायल हो गए। बरेठ डुंगर टोक में तारा सिंह और उनकी पत्नी लापता हो गए, जबकि विक्रम सिंह और उनकी पत्नी घायल हो गए। एक गोशाला ढहने से लगभग 15–20 मवेशी मलबे में दब गए।
बुनियादी ढांचे को नुकसान
रुद्रप्रयाग में केदारनाथ घाटी के लवाड़ा गाँव में मोटर मार्ग पर बना पुल बह गया। अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर जलस्तर अचानक बढ़ गया जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा और गहरा गया। रुद्रप्रयाग का प्रसिद्ध हनुमान मंदिर भी आंशिक रूप से जलमग्न हो गया। कई घर क्षतिग्रस्त हुए और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।
राहत और बचाव कार्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं। उन्होंने आपदा सचिव और जिलाधिकारियों को प्रभावी निगरानी करने के निर्देश दिए और कहा कि वे लगातार संपर्क में हैं। राज्य आपदा राहत बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और स्थानीय पुलिस की टीमें मौके पर तैनात हैं। प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और तत्काल मदद मुहैया कराई जा रही है।
मौसम चेतावनी और खतरे
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने पहले ही उत्तराखंड के नौ जिलों, जिनमें रुद्रप्रयाग भी शामिल है, में फ्लैश फ्लड की चेतावनी दी थी। लगातार भारी बारिश से भूस्खलन, सड़क अवरोध और अचानक बाढ़ की आशंका बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि नाजुक हिमालयी पारिस्थितिकी और अनियंत्रित विकास कार्य इस तरह की आपदाओं की गंभीरता को और बढ़ा रहे हैं।
राज्य सरकार की प्रतिबद्धता
सरकार ने प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। राहत शिविर स्थापित किए गए हैं और मेडिकल टीमें तथा आवश्यक आपूर्ति प्रभावित क्षेत्रों में भेजी जा रही हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार आपदा प्रबंधन को और मजबूत बनाने और पुनर्वास कार्यों को तेजी से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।