उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित धौलीगंगा जलविद्युत परियोजना (२८० मेगावाट) की सुरंग में शनिवार शाम भूस्खलन के कारण १९ एनएचपीसी कर्मचारी और अधिकारी फंस गए थे। यह हादसा शाम लगभग ५ बजे हुआ, जब मलबा गिरने से मुख्य हेड रेस टनल और आपातकालीन शाफ्ट दोनों ही बंद हो गए। हमारे संवाददाता के अनुसार, इससे टॉम्बल पावरहाउस के भीतर मौजूद कर्मचारी पूरी रात अंदर ही फंसे रहे।
२२ घंटे बाद राहत
भारी बारिश और लगातार गिरते मलबे के बीच, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, बीआरओ और सीआईएसएफ की संयुक्त टीमों ने राहत अभियान शुरू किया। हमारे संवाददाता ने जोड़ा कि बीआरओ की मशीनों से रास्ता साफ कर पहले ८ कर्मचारियों को रविवार सुबह बाहर निकाला गया, जबकि बाकी ११ को दोपहर तक सुरक्षित निकाल लिया गया। सभी १९ कर्मचारियों को लगभग २२ घंटे बाद सुरक्षित बचा लिया गया।
परियोजना और क्षेत्र की संवेदनशीलता
धौलीगंगा परियोजना का यह क्षेत्र मानसून के दौरान विशेष रूप से भूस्खलन की चपेट में रहता है। २०१३ की आपदा और २०२१ की हिमस्खलन घटना के दौरान भी यह परियोजना गंभीर रूप से प्रभावित हो चुकी है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लगातार हो रही प्राकृतिक आपदाओं से इस क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी पर गहरा असर पड़ रहा है।
राज्य सरकार की तैयारी
राज्य सरकार ने बताया कि अब तक १,७०० से अधिक सड़कें साफ की जा चुकी हैं और ९६% अवरुद्ध मार्ग खोल दिए गए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा है कि चारधाम यात्रा और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को देखते हुए चौबीसों घंटे निगरानी रखी जा रही है।